गुप्तार घाट
गुप्तार घाट माना जाता है कि सरयू नदी के तट पर पवित्र घाट वह स्थान है जहां भगवान राम ने जल समाधि ली थी। इसमें 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में राजा दर्शन सिंह द्वारा निर्मित बेहतरीन सुव्यवस्थित घाटों की एक श्रृंखला शामिल है। घाटों के शीर्ष पर सीता-राम मंदिर, चक्रहारी और गुप्तहरी मंदिर और नरसिंह मंदिर हैं। हिंदू संस्कृति में, महान संत और कवि गोस्वामी तुलसी दास द्वारा लिखित रामचरितमानस के आधार पर कई धार्मिक संस्कार और अनुष्ठान किए जाते हैं। चूंकि गुप्तार घाट भगवान राम से संबंधित है, इसलिए इस स्थान का सांस्कृतिक महत्व भी है।
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उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में गुप्तार घाट घाघरा नदी के पश्चिमी तट पर एक धार्मिक स्थान है, जिसे सरयू नदी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान राम और उसके आसपास के क्षेत्र का जन्म स्थान अयोध्या के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से साकेत। शास्त्रों में गुप्त-घाट की महिमा का बखान किया गया है। गुप्तार घाट अयोध्या में हनुमान गढ़ी से लगभग 9 किमी दूर है। गुप्तार घाट कई मायनों में अयोध्या के घाटों से अलग दिखता है। सख्त अर्थों में न तो 'पंडों' की उपस्थिति है और न ही धार्मिक वातावरण। घाट पर एकांत ऊब पैदा नहीं करता बल्कि सचेत शांति देता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम ने गुप्तर घाट पर जल समाधि ली और वैकुंठ चले गए। जल समाधि का अर्थ है 'माया' कहे जाने वाले संसार और सांसारिक आकर्षणों से मुक्त होने के लिए जल में डुबकी लगाकर अपने जीवन को त्याग देना। वैकुंठ भगवान विष्णु के निवास का नाम है। पौराणिक कथाओं का यह दृष्टिकोण हिंदू धर्म को मानने वालों और भगवान राम के भक्तों के लिए सरयू नदी को पवित्र बनाता है।